ABOUT इतिहास

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ऋग्वैदिक कालीन आर्यों का खान-पान ( भोजन)

बर्कहार्ट ने इतिहास को इस प्रकार परिभाषित किया है : “इतिहास अतीत का वह दस्ताबेज है जो एक युग दूसरे युग में ध्यानाकर्षित करने योग्य पाता है।”

'नेस्ले'च्या भारतातील बेबी फूडमधली अतिरिक्त get more info साखर किती धोकादायक?

यह अतीत से शुरू होता है; वर्तमान को अपना चादर-एंकर बनाता है और भविष्य की ओर इशारा करता है। इतिहास पढ़ाने के उद्देश्यों और उद्देश्यों में समय की दार्शनिक सोच में बदलाव और सामाजिक और राजनीतिक प्रथाओं में बदलाव के साथ बदलाव आया है।

यूनानी-रोमन लेखकों के विवरण सिकंदर के पूर्व, उसके समकालीन तथा उसके पश्चात् की परिस्थितियों से संबंधित हैं। इसलिए इनको तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है- सिकंदर के पूर्व के यूनानी लेखक, सिकंदर के समकालीन यूनानी लेखक, सिकंदर के बाद के लेखक।

यह सामग्री क्रियेटिव कॉमन्स ऍट्रीब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध है;

प्राचीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत बहुविकल्पीय प्रश्न

एन. डे के अनुसार, ‘‘सल्तनतकालीन लेखकों के वर्णन से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अपने स्वामी का यशगान करने और इस्लाम की विजयों के प्रति धार्मिक उत्साह के कारण सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं की ओर ध्यान नहीं देते थे।’’

मांढरदेवीच्या यात्रेत तेव्हा नेमकं काय घडलं होतं?

इस ग्रंथ का रचयिता अल बिरुनी था। वह अरबी तथा फारसी भाषाओं का विद्वान था। यह ग्रंथ फारसी भाषा में लिपिबद्ध है। अलबरूनी विदेशी था तथा भारत में उसने महमूद गजनवी के यहां नौकरी कर ली। वह चिकित्साशास्त्र, धर्म, दर्शन तथा गणित में रूचि रखता था। वह हिन्दू धर्म तथा दर्शन का भी अच्छा ज्ञाता था।

छठी शताब्दी ई. से सोने के सिक्के मिलने कम हो गये। इस आधार पर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि रोमन साम्राज्य के पतन के बाद दूरवर्ती व्यापार में गिरावट आई। इससे उन राज्यों, समुदायों और क्षेत्रों की संपन्नता पर प्रभाव पड़ा, जिन्हें इस दूरवर्ती व्यापार से लाभ मिलता था।

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मध्यकालीन भारतीय इतिहास का कालविभाजन[संपादित करें]

(ख) विशिष्ट मानवजाति, जंतु, वनस्पति तथा खनिज।

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